Sunday, January 15, 2012

आज लिखूं

आज लिखूं मैं फिर से मेरा दिल कहता है,
चलूँ तेरे संग,
कदम दो कदम तेरे कदम से फिर मेरा दिल कहता है,
डूब जाऊं तेरी नशीली आँखों में,
लम्हे दो लम्हे उन लम्हों में फिर से मेरा दिल कहता है,
ले लूँ तेरे हाथो को अपने हाथों में,
तेरी उँगलियों को मेरी उँगलियों से इन उँगलियों में फिर से मेरा दिल कहता है,
मिले आज हम एक दूजे से,
करवटों से बिस्तरों की सलवटों में फिर से मेरा दिल कहता है,
छुए तेरी परछाइयाँ मेरी परछाइयों को,
समंदर की रेत के किनारे ढलती रौशनी में फिर से मेरा दिल कहता है,
गुम हो जाएँ हम एक दूजे में,
मैं खुद को ढूद्दुं तेरी आँखों में फिर से मेरा दिल कहता है,
कोई बात अधूरी न रह जाये हमारी,
दो बातें तेरी मेरी दो बातों में पूरी हो जाये फिर से मेरा दिल कहता है,
हमेशा सलामत रहे तू,
कही मेरी नज़र से तेरी खूबसूरती को नजर न लग जाए फिर से मेरा दिल कहता है,
हम रहेगे सदा ही साथ साथ,
इस जनम हर जनम ,जनम में फिर से मेरा दिल कहता है.....
 -सोलंकी मैंडी

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