Friday, June 8, 2012

कुछ बातो का एहसास


कुछ बातो का एहसास देर से होता है
कुछ गलतियों का अफशोस देर से होता है
पल में तो कह दिया जो कहना था
उस बात का टकराव आज भी दिल में होता है
आईने में तो दिखता मैं ही हूँ
पर उस चेहरे पर भाव न जाने किसी बात का रहता है
सहम जाता है दिल कुछ अनजाने खौफ से
जो तुझे न मिल सका फिर तो
तुझे न मिलने का दर्द रोज ही रहता है
कुछ समझा के देखा तुझे ,मना के देखा तुझे
तेरे जिद से हार का गम आज भी होता है
कही धूप छाव में लिखता हूँ नाम तेरा
तेरे जुल्फों में सितारे पिरोने का अरमान आज भी होता  है
कुछ साथ तेरा था खुशियों का सफर
अब तेरे गम में सरीक न रहने की घुटन आज भी होती है
वादे तो किये थे संग संग न जाने कितने
तेरे संग जीवन डोर ना बांधने की तड़प आज भी होती है
पहले खुली आँखों में सजते थे जो ख्वाब
अब उनके मिटने का दर्द आज भी होता है
कुछ बातो का एहसास देर से होता है
कुछ गलतियों का अफशोस देर से होता है

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