Wednesday, June 13, 2012

कुछ ऐसे भी होते है


कुछ लोगो की कहानी में इंटरवेल नहीं होता 
एक साँस से शुरू होती है और चलती जाती है 
ना दिन होता है न रात आती है 
सब कुछ ठहरा होता है ,विचारों की कंकरी अनजान तरंगों को जियाती है
जहन में कुछ खौफ लिए सबसे बचता जाता है,
और अगर कभी जो सामना हुआ किसी से तो दर पसीना होजाता है
हर बात छुपता है हजारों बहाने सूझाता है
वजह बात की कुछ और होती है ,किसी और बात को आगे ले आता है
अपनों से ही दूरिया बनाता है खुसियो को नजाने कहा उधार दे आता है
ओरो के काम से कमिया गिनाते है खुद में हिम्मत नहीं होती न इस लिए
नए लोगो से घबराते है कुछ ही के बीच शेर बन जाते है
काम बिगरता है खुद से ओरो पे चिलाते है
लड़कियों के प्रति बड़े सेंसटिव होते है ,प्रोपोस तो कर नहीं पाते
मजनू की तरह कोने में खड़े गुस्साते है
अगले काम पे गोर नहीं करते पिछले पे पछताते है
ऐसे ही कट जाती है बस जिंदगी
न खुद खुश रहते है न किसी को खुशी दे पाते है
बिना इंटरवेल की मूवी की तरहा बोर कराते है
मेरी मानो तो इंटरवेल लो अभी तक कुछ अच्छा हुआ हो या न हुआ हो
आगे तो कुछ हो जाने दो :)

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