Thursday, July 19, 2012

समुंदर


समुंदर की इन लहरों ने मेरे कानो तक ये दस्तक दी
न जीती हूँ न मरती हूँ न कहती हूँ न सुनती हूँ
पर बाहें पसारे आज भी उस किनारे से में मिलती हूँ
न सोचती हूँ न समझती हूँ न किसी की बात में सुनती हूँ
न जो मिल पाता महबूब मेरा उस किनारे पे मर मिटती हूँ .

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