Tuesday, February 28, 2012

हर बैचलर कि यही कहानी

लगभग दोपहर का वक्त ,कुछ जमीन को छूती चादर ,कुछ अधखुली आँखे, बिखरे बाल, नीद का आगोश ,सिरहाने बिखरा पड़ा कुछ सामान - मोबाइल , लैपटॉप ,पर्स ,पैरों के ऊपर से जाता चार्जर का तार, खिड़कियों के कांच से आती तेज रौशनी ,कुछ गाडियों के अफरा तफरी की आवाज
लेटे हुए, हाथो का मोबाइल को ढूँढना ,मानो कितने बरसों से मोबाइल नहीं छुआ,पापा की मिस कॉल ,गर्ल फ्रेंड का पकाऊ वाला मेसेज, और एक अजीब सा मैसेज,”आप ने जीते है २२ लाख रुपए..........”किचेन में कॉफी बनाने गए तो देखा कप ,जग सब गंदे है,नजरें ढूँढ रही थी उस बर्तन को जो थोडा कम गन्दा हो,बिना नहाये बाहर जाकर सिगरेट पी ,पर्स में देखा तो पैसे ही नहीं थे, एटीएम तक की दौड, फिर एटीएम की लंबी क़तार,जैसे तैसे एटीएम मशीन तक पहुचे ,एटीएम का गार्ड- साहब पैसा खतम
माआआआआआ .................................. गुस्से पे कण्ट्रोल कर आये ,दोस्त को कॉल किया
अबे यार पैसा चाहिए था ,है तेरे पास ,दोस्त-नहीं यार अपनी भी लगी पड़ी है | पापा ने कहा है बेटा कमाने लायक हो गए हो......समझ सकता है यार एमबीए खतम हुए साल हो चला.मुसीबते क्या कम थी , तभी गर्ल फ्रेंड का फोन- चलो कही बाहर चलते है ,घर पे मन नहीं लग रहा.......
,यहाँ पैसे नहीं है तुझे बाहर जाना है, गर्ल फ्रेंड-मुझे पता था तुम यही बोलोगे (मैडम ने फोन काट दिया)सिट....सोचा चलो खुद ही कॉल कर ले – प्रिय उपभोक्ता कृपया अपना बैलेंस रिचार्ज कराएँ......अरे,अब पापी पेट जाये कहा घर में राशन नहीं,जेब में पैसा नहीं,घूमते हुए फ्रेंड के घर गए ,क्या करे बैचलर का तो सब जगह एक ही रोना है,यार मेरी न गर्ल फ्रेंड नाराज है क्या करू? दोस्त-कुछ मत कर उसे छोड दे,मैं-कमीने साले मैं प्रॉब्लम में हूँ तुझे मजाक सूझी है कल उसका जनम दिन है दोस्त-क्या करू प्रॉब्लम में तो मैं खुद हूँ ,यार कुछ खिला यार तेरी गर्ल फ्रेंड का जन्मदिन है, बिस्किट खाले , मुझे भूख लगी है ब्रेकफास्ट नहीं किया,रात को नीद भी नहीं आयेगी ,दोस्त-यार महीने के आखिरी दिन है, समझा कर,चल घूम के आते है कही दूर और जब घर आयेगे तो बस नीद आयेगी प्रॉब्लम सोल्व....:)चल ओके चल...नजदीक के एटीएम से अकाउंट में बचे हुए पैसे निकाले और फिर अमीर हो गए ,भर पेट खाया ,शाम तक घूमे आँखों को भी ठंडक मिली(?) ,और मुसीबत भरा एक और दिन टल गया,अब कल का दिन कल देखेंगे.......हर बैचलर कि यही कहानी.....
-सोलंकी मैंडी

1 comment:

Avinash Shukla said...

kya baat hai dost, kahan se laate ho ye khayal, hota to hamare saath bhi aisa hai par mere man kabhi yun panktibadh karne ka khyal nahi aaya, sach me adbhut likha hai......