Thursday, July 19, 2012

समुंदर


समुंदर की इन लहरों ने मेरे कानो तक ये दस्तक दी
न जीती हूँ न मरती हूँ न कहती हूँ न सुनती हूँ
पर बाहें पसारे आज भी उस किनारे से में मिलती हूँ
न सोचती हूँ न समझती हूँ न किसी की बात में सुनती हूँ
न जो मिल पाता महबूब मेरा उस किनारे पे मर मिटती हूँ .

Wednesday, June 13, 2012

कुछ ऐसे भी होते है


कुछ लोगो की कहानी में इंटरवेल नहीं होता 
एक साँस से शुरू होती है और चलती जाती है 
ना दिन होता है न रात आती है 
सब कुछ ठहरा होता है ,विचारों की कंकरी अनजान तरंगों को जियाती है
जहन में कुछ खौफ लिए सबसे बचता जाता है,
और अगर कभी जो सामना हुआ किसी से तो दर पसीना होजाता है
हर बात छुपता है हजारों बहाने सूझाता है
वजह बात की कुछ और होती है ,किसी और बात को आगे ले आता है
अपनों से ही दूरिया बनाता है खुसियो को नजाने कहा उधार दे आता है
ओरो के काम से कमिया गिनाते है खुद में हिम्मत नहीं होती न इस लिए
नए लोगो से घबराते है कुछ ही के बीच शेर बन जाते है
काम बिगरता है खुद से ओरो पे चिलाते है
लड़कियों के प्रति बड़े सेंसटिव होते है ,प्रोपोस तो कर नहीं पाते
मजनू की तरह कोने में खड़े गुस्साते है
अगले काम पे गोर नहीं करते पिछले पे पछताते है
ऐसे ही कट जाती है बस जिंदगी
न खुद खुश रहते है न किसी को खुशी दे पाते है
बिना इंटरवेल की मूवी की तरहा बोर कराते है
मेरी मानो तो इंटरवेल लो अभी तक कुछ अच्छा हुआ हो या न हुआ हो
आगे तो कुछ हो जाने दो :)

Friday, June 8, 2012

कुछ बातो का एहसास


कुछ बातो का एहसास देर से होता है
कुछ गलतियों का अफशोस देर से होता है
पल में तो कह दिया जो कहना था
उस बात का टकराव आज भी दिल में होता है
आईने में तो दिखता मैं ही हूँ
पर उस चेहरे पर भाव न जाने किसी बात का रहता है
सहम जाता है दिल कुछ अनजाने खौफ से
जो तुझे न मिल सका फिर तो
तुझे न मिलने का दर्द रोज ही रहता है
कुछ समझा के देखा तुझे ,मना के देखा तुझे
तेरे जिद से हार का गम आज भी होता है
कही धूप छाव में लिखता हूँ नाम तेरा
तेरे जुल्फों में सितारे पिरोने का अरमान आज भी होता  है
कुछ साथ तेरा था खुशियों का सफर
अब तेरे गम में सरीक न रहने की घुटन आज भी होती है
वादे तो किये थे संग संग न जाने कितने
तेरे संग जीवन डोर ना बांधने की तड़प आज भी होती है
पहले खुली आँखों में सजते थे जो ख्वाब
अब उनके मिटने का दर्द आज भी होता है
कुछ बातो का एहसास देर से होता है
कुछ गलतियों का अफशोस देर से होता है

Sunday, May 20, 2012

ओ सजनी रे


ओ सजनी रे ,ओ सजनी रे
आये पीया रे द्वारे ,मनमोहन हमारे
ले रंगोली सजाये आज द्वारे  रे
हो रंगोली सजाये आज द्वारे  रे
मोरा मन मचले रे ऐसे, हाय मचले रे ऐसे
जेसे सावन में नाचे मयूरा रे
ओ सजनी रे ,ओ सजनी रे
आये पीया रे द्वारे ,मनमोहन हमारे
आज सज लू री ऐसे ,दर्पण देखू री ऐसे
जैसे नई दुल्हनिया आज आई रे
ओ सजनी रे ,ओ सजनी रे
आये पीया रे द्वारे ,मनमोहन हमारे
पोहो बालो में गजरा, ऐसे पैरों में पायल बंधालू रे
जेसे आंगन टपके है बूंदा ,आंगन टपके है बूंदा,मेघा आकाश आज भर आये रे
ओ सजनी रे ,ओ सजनी रे
आये पीया रे द्वारे ,मनमोहन हमारे
राह ताकू खड़ी ,नजरे प्यासी बड़ी ,जैसे कागा मुंडेर बुलाए रे
ओ सजनी रे ,ओ सजनी रे
आये पीया रे द्वारे ,मनमोहन हमारे
आज उडती फिरू ,गाऊ नाचू हंसू , जैसे अम्बुआ पकने पे कोयलिया कूक लगाये री ,जैसे पपीहा सुर से सुर मिलाये रे
ओ सजनी रे ,ओ सजनी रे
आये पीया रे द्वारे ,मनमोहन हमारे
ले रंगोली सजाये आज द्वारे  रे
हो रंगोली सजाये आज द्वारे  रे

Friday, May 18, 2012

दिल की


दिल की सुनी तो पछताया ,दिल से सुनी तो पछताया
दिल जो लगाया था उनसे तो इस दिल की लगी से पछताया,तो कभी इस दिल्लगी से पछताया 
जब न किया था प्यार तो इस दर्द-ए-दिल को पछताया,जब कर बैठा इकरार तो इस दिल के फसने पे पछताया
कभी उनकी बेरूखी पे पछताया,कभी उनकी बेवफाई पे पछताया
जब मिटा बैठे है खुद को उन पे तो इस जिंदगी से पछताया,जब मिल न सका वो तो उस मौत को भी पछताया
जब अकेले थे सफर में तो पछताया, तो कभी बिन हमसफ़र के पछताया
कभी खुद के इजहार न कर पाने पे पछताया,तो कभी उनके इनकार के डर से पछताया
कभी दिल के दिल में रहने पे पछताया,अब जो ना रहा ये अपना तो इसके खोने पे पछताया
जब सोचा हूँ उन बातो को तो पछताया,अब हूँ इन बातो में अकेला तो पछताया
दिल की सुनी तो पछताया ,दिल से सुनी तो पछताया